Pages

Pages

Contact Us. By E-mail: anandamargauniversal@earthlink.net

Saturday, May 22, 2021

Trick to loot money

Baba

Trick to loot money

Namaskar, 

In order to stuff his coiffers and war chest, Madhuvratananda wrote the following dogmatic poem wherein he deceitfully and tactically tried to lull margiis into give him huge donations. Everyone should be alert. 

In Him,

Tapeshvar Deva


*बाबा नगर (जमालपुर) पर जन्म शताब्दी वर्ष महोत्सव के शुभ अवसर पर प्रस्तुत एक कविता।* 

चलो मनाए "महत आनन्द पूर्णिमा",
"जन्म शताब्दी वर्ष" शुभ अवसर है।
अनन्त कथा रहस्यमय महिमा,
बाबा धाम यह "बाबा नगर" है।

यहाँ कण कण में प्रभु चरण रज, 
रोम रोम रोमांचित है।
मुक दर्शक मन अनन्त शान्ति पल,
निशब्द ही भाव की भाषा है। 
ब्यक्त करूँ कैसे हे जगवासी,
जहाँ जीवन का उद्धार है।
बाबा धाम यह "बाबा नगर" है।

देखो झाँकी पावन धरा पर,
भक्तों का अभिनन्दन है।
हृदय में धड़कन सर्वत्र यहाँ पर,
तन मन अति प्रसन्न है।
यही वृन्दावन यहाँ स्वर्ग है,
सर्वत्र ही उनका द्वार है।
बाबा धाम यह "बाबा नगर" है।

स्मरण बाल्यकाल झलक है,
पल-पल क्षीण-क्षीण उनका साथ।
अदृष्य स्पंदन अज्ञात आनन्द,
उनका सदा ही सर पर हाथ। 
तारक ब्रह्म ही सर्वदा निकट हैं
(यहाँ की लीला अपरंपार है।
बाबा धाम यह "बाबा नगर" है।

ईष्ट मंत्र और गुरु मंत्र,
सब हो जाता ध्यान मंत्र। 
मधुर भाव में पग लहराए,
मानो मुक्त हुआ अब हंस।
दिव्य प्रकाश पर हुआ मन केन्द्रित,
अब बस प्रेम का संचार है।
बाबा धाम यह "बाबा नगर" है।

आचार्य मधुव्रतानन्द अवधूत