Baba
Current affairs: working style of H group
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एक्स पेल - एक्स पेल -एक्स पेल।
रांची विभाजित ग्रुप में इतनी "आंतकवादी ब्यूरोक्रेसी" इतनी घुस चुकी है। कि उनको एक्सपेल शब्द बच्चो का खिलौना लगता है।
बेगलोर RS दादा सुवेश्वरानंद जी ने बंगलौर के बाबा भक्त मार्गी श्री राजेश बग्गा को एक साल के लिए एक्सपेल या ससपैड कर दिया है।
उसका कई कारण हो सकते हैं।
1. RS दादा का यह कहना कि श्री राजेश बग्गा जी ने उनके साथ अप व्यहवार किया है।
क्या RS दादा यह बताएंगे, कि बेंगलोर के गृही मार्गी पागल हैं?
गृही मार्गी तो दादा लोगों को बाबा का प्रतिनिधि मान कर उनका आदर करते
हैं। गृही मार्गी दादा लोगों को अप शब्द क्यों कहेंगे ? जरूर कोई RS दादा
जी की तरफ से ऐसी बात हुई होगी। RS दादा जी पूरी बात गृही मार्गियों के
सामने न लाकर गृही मार्गियों को गुमराह कर रहे है।
यह
समझ नही आता। रांची ग्रुप में ही क्यों इस तरीके की गलतियां होती हैं।
कलकत्ता और थर्ड ग्रुप में इस प्रकार की गलतियां क्यों नहीं हो रही है।
उसका एक ही कारण है। रांची ग्रुप में अधिकतर दादा लोग , अपने आका दादा
रुद्रानंद के "रुद्रानंद चाटुकार क्लब" के सदस्य बन कर, अपना स्वार्थ सिद्ध
करना चाहते हैं।
आज तक का रिकॉर्ड है, कि श्री राजेश
बग्गा एवम उनके पूरे परिवार ने संस्था के लिए कोई ऐसा काम नहीं किया है,
जो गुरु द्रोह या संस्था द्रोह की श्रेणी में आता हो। पूरा परिवार आनंद
मार्ग के कल्चर में ढला हुआ है। जबकि RS दादा सुवेश्वरानंद जी, दादा
रुद्रानंद सीबीआई इनफॉर्मर के कल्चर में ढलने का प्रयास कर रहे हैं।
बेंगलोर
में होने वाले Bhukti Pradhan के चुनाव के रिटर्निग ऑफिसर दादा चिन्मयानंद
जी, जब तक दादा निगमानंद जी जीवित थे। तब दादा रुद्रानंद जी को गालियां
देते थे। और दादा निगमानंद जी के भौतिक शरीर छोड़ने के बाद अब दादा
रुद्रानंद जी के "दादा रुद्रानंद चाटुकार क्लब" के सदस्य बन गए।
RS
दादा सुर्वेश्वरानंद जी पहले दादा चिन्मयानंद जी पर संस्थागत कार्यवाही
करने की हिम्मत दिखाने की कोशिश कीजिए। फिर देखिए कि दूसरे दिन ही आपका
ट्रांसफर कर किसी छोटी जगह ट्रांसफर का फरमान आ जायेगा।
*** दादा चिन्मयानंद जी संस्था की मास्टर यूनिट को अपना निजी ट्रस्ट बनाकर संस्थाद्रोह का कार्य किया है।
***
दादा चिन्मयानंद जी ने एक अवधूत सन्यासी हो कर अपने लौकिक परिवार के
संबंध रखने के साथ साथ संस्था के पैसे से ही उनको एस्टब्लिस किया है।
आप
दादा चिन्मयानंद जी पर कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं दिखा सकते। क्योंकि
वह रुद्रानंद के चाटुकार क्लब का सदस्य बहुत पहले से है। और अभी आप दादा
रुद्रा नंद चाटुकार क्लब के सदस्य बनने की राह पर हैं।
2.
श्री राजेश बग्गा जी का इतना ही कसूर है, कि उन्होंने आपसे भूक्ति
प्रधान के चुनाव की आपसे वोटर लिस्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी। और आपने
देने से इंकार कर दिया था।
यदि
राजेश बग्गा अपनी यह शिकायत पुरोधा प्रमुख के पास कर देते। तो भी कुछ नहीं
होता। क्योंकि रांची ग्रुप के पुरोधा प्रमुख भी, सीबीआई इनफॉर्मर दादा
रुद्रा नंद जी के द्वारा संचालित होते है।
यह तो
रांची ग्रुप का दुर्भाग्य है, कि रांची ग्रुप के पुरोधा प्रमुख को
व्यक्तिगत तौर पर प्रशासन का संचालन करने की क्षमता नहीं है। इसी लिए रांची
ग्रुप के दादा रुद्रानंद जी के प्रमुख चाटुकार दादा मधुव्रता नंद जी (जब
पुरोधा प्रमुख दादा निगमा नंद जी के इशारों पर नाचते थे) ,दादा पुरोधा
प्रमुख को "हिजड़ा" "नपुसंक" कहते थे। और यह भी कहते थे, कि इनको तो DMS
मे लेक्चर देना ही नही आता। लेकिन आज अंतर सिर्फ इतना ही है, कि पहले
रांची ग्रुप के पुरोधा प्रमुख, दादा निगमानंद जी के इशारे पर नाचते थे।
दादा निगमानंद जी के भौतिक शरीर छोड़ने के बाद आज पुरोधा प्रमुख , "दादा
रुद्रानंद जी के इशारे पर नाचते हैं। यही कड़वा सत्य है।
अब
रांची ग्रुप के इंटेंशन को गृही मार्गी समझ चुके हैं। रांची ग्रुप के
दादा रुद्रा नंद जी को प्रथम पहले कलकत्ता से भागना पड़ा। और अब उसके बाद
रांची से भागकर दिल्ली जा कर अपने कैंप ऑफिस को बनाना पड़ा। उसका कारण यह
है, कि गृही मार्गियों को दादा रुद्रानंद जी ने अपना गुलाम समझ रखा है। अब
आप लोग दिल्ली में कितने दिन रह पाएंगे। यह आपके व्यवहार पर निर्भर करता
है।
3. RS दादाजी आपने ही श्री राजेश बग्गा जी पर
आरोप लगाया, और आपने ही एक्स पेल कर दिया।यह कैसे संभव है? उस पर इंक्वारी
कमीशन बैठना चाहिए था। और फिर उस कमीशन के द्वारा फेक्ट को दिल्ली सेक्टर
को सेक्टोरियल एक्ज्यूटीव कमेटी के द्वारा रेजुलेशन पास करवाकर बाद में
सेंट्रल एक्ज्यूटिव कमेटी से रेज्युलेशन पास करवाकर फिर सेंट्रल कमेटी से
पास करवाना चाहिए था। फिर उसके बाद पुरोधा प्रमुख से अप्रूव करवाना चाहिए
था। तब किसी गृही मार्गी को एक्सपेल करना चाहिए था।
लेकिन
यह तो तब होता जब रांची विभाजित ग्रुप का "आनंद मार्ग प्रचारक संघ" होता।
लेकिन दादा रुद्रानंद जी ने उसको "आनंद मार्ग पर्सनल संघ" बना दिया है। RS
दादा जी इसमें आपकी गलती नहीं है। क्योंकि आप दादा रुद्रानंद जी के चाटुकार
बनकर शायद "एक्ज्यूटिव पुरोधा" बनना चाहते हैं। क्योंकि बाबा ने जो
संस्था के संचालन के लिए जिस प्रकार "आध्यात्मिक पुरोधा" का निर्माण करने
की परिकल्पना की थी. वह तो आज की स्थिति में किसी भी विभाजित ग्रुप के लिए
मुश्किल है। लेकिन रांची ग्रुप के लिए बहुत बहुत बहुत मुश्किल है।
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