Baba
Eyewitness account: how Ac Harishankar did Bangalization of SS 7-12
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मनिशानन्द जी की पोस्टिंग जब रांची में थी । तबकी बात । जब मनिशानन्द जी AC हरिशंकर जी के यहां जाते थे तो अपने मोटरसाइकिल पर बिठा लेते थे ।मैं तब स्टूडेंट था बैचलर था और दादा ( H ) के यहां तो बस प्यार ही प्यार था । upsf का डिस्ट्रिक्ट आफिस भी वही था ।तब बहुत कुछ समझ नही आता था पर अब बहुत कुछ समझ आ रहा है ।जब मनिशानन्द जी बोलते चलो आज कुछ नया ऑडियो या video कोई ला रहे है । उसको हरिशंकर दादा के साथ देखेंगे ।तब कुछ कम समझ आता हरिशंकर दादा के ही साथ क्यो ।फिर उनदोनो का डिस्कशन अब प्रासंगिक लग रहा है ।तब हरिशंकर दादा मूल बंगला से अनुदित वाला काम कर रहे थे ।मनिशनन्द जी तब उन प्रवचनों का ऑडियो दादा को सुना रहे थे जो परमप्रिय बाबा ने हिंदी या इंग्लिश में बोला था ।और हरिशंकर दादा को सेन्टर उसी प्रव चन का बंगला में छपा पुस्तक देके उसको हिन्दी मे translate करने बोला था ।मनीषानन्द जी का तर्क था कि सेन्टर के पास ,ये सब रिकॉर्डिंग है । तो आप बंगला बुक से ट्रांसलेट न करके ऑडियो से transcribe क्यो नही करते ।हरिशंकर दादा से manishannd जी की इसपर बाद में नोक झोंक भी हुई ।मेरे लिए तब बड़ा ही kimkartbyavimud वाली स्थिति थी ।फिर मैंने एक बार हरिशंकर दादा से अकेले में पूछा कि manishananad जी तो सीधे ऑडियो दे रहे है । फिर आपसे इतना परिश्रम क्यो करवाया जा रहा है ? इस पर उन्होंने बोला कि ये GS दादा का आदेश है , मैं तो बस अपना duty कर रहा हु ।फिर कई किताब आये जिसमे यह लिखा था - मूल बंगला से आचार्य हरिशंकर द्वारा अनुदित ।नतीजा था मनीषा नन्द जी और आचर्य हरिशंकर जी के बीच तल्खी चरम पर पहुच गयी ।और दो महान व्यक्ति के बीच हुए आदर्शगत संघर्ष को मैं अचंभित और हतप्रभ होकर देखा हुं ।
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