Baba
लालची पुरोधा विवाह टैक्स – Greedy Purodha & Marriage Tax
~ भाग 3 ~
पीपी का विवाह टेक्स ग्रुप लीडर्स के पास पहुँचता है। अब एक ग्रुप के पीपी दादा के द्वारा विवाह आशीर्वाद की फीस दस हजार रुपयों से भी अधिक ली जा रही है। इस प्रक्रिया में पीपी दादा उस ग्रुप के लीडरों के हाथ की कठपुतली हैं। सभी रुपया और फीस उन ग्रुप लीडरों के पास सीधे ही पहुँचती है। इससे अन्य दादाओं के लिए भी विवाह की फीस लेने के लिए रास्ता खुल गया है। कुछ दादा लोग नव विवाहतों को परिचय करने और कुछ विवाह क्रिया संपन्न करने की फीस लेने लगेंगे। यह पता लगाना कठिन नहीं है कि यह कहाँ हो रहा है। यह सही है कि सभी दादा लोग इस कार्य में नहीं लगे हैं पर यदि थोड़े लोग ही इस काम में लगे हैं तो यह पूरे सिस्टम को बिगाड़ने के लिए पर्याप्त है। हमारी विवाह पद्धति सभी के लिए मुफ्त में कार्य करने के लिए ही बनाई गई है पर अब पीपी के द्वारा फीस लिया जाना—इसे अलग दिशा में ले जायेगा। हमने यह भी देखा है कि किस प्रकार कुछ होलटाइमर, मार्गियों से श्राद्ध के नाम पर पैसा ले रहे हैं। और अन्य अखंड कीर्तन आदि में नहीं जाते हैं, जब तक उन्हें आयोजनकर्ताओं की अोर से ठोस रकम नहीं मिल जाती। पीपी दादा के विवाह टेक्स के यह परिणाम हैं।
कार्यक्रमों के संपन्न करने और उनमे भाग लेने के लिए फीस लेने का धंधा, कुछ दादाओं को पैसा बनाने का सरल उपाय मिल गया है, जिसे अपनाकर वे जीवन जीने के आदी हो गए हैं। जब तक पारिवारिक मार्गियों द्वारा सामूहिक प्रयास कर इन दादाओंं के इस कार्य का विरोध नहीं किया जाता, उनका यह शोषण कार्य जारी रहेगा।वे जब भी सम्भव होगा इस प्रकार धन बटोरते रहेंगे।
विवाह टेक्स का दुर्भाग्यपूर्ण प्रभाव
अब हमारा आनन्दमार्ग हिंदुओं के डागमेटिक पुजारियों की तरह उनके बनाये गए रास्ते पर चलने लगा है। विभिन्न ग्रुपों के चुने हुए पीपी, ग्रुप लीडरों के हाथ के खिलोने हैं। इन्होंने विवाह टेक्स लेने कि परंपरा बना दी है, और वह दिन दूर नहीं जब अन्य दादा लोग डीएमएस के समय अपने अपने स्टाल लगाएंगे, और विवाह, भौतिक सलाहो, अनुशंषाओं कार्यक्रमों में भाग लेने की भी फीस लेने लगेंगे। और फिर धीरे धीरे दीक्षा देने की भी फीस लेने लगेंगे। ये दादा परिवार के मुखिया से नयी ड्रेस और चश्मा भी विवाह-फीस के रूप में लेने लगेंगे। और यदि वे सप्ताह या माह में ५ शादियां करते हैं तो अतिरिक्त ड्रेसें बेच कर लाभ कमाएंगे।
फिर आनंदमार्ग भी हिंदुओं के काशी , पुरी,रामेश्वरम,द्वारका,अयोध्या, गया, देवघर, प्रयाग आदि की तरह व्यर्थ के रीति रिवाजों और डोग्मा में बंध जाएगा। यह सचमुच बड़ा भयावह है। इस प्रकार शादियां अत्य़धिक खर्चीली होकर, लोगों को बिना विवाह के रहने को विवश कर देंगी और हम उस युग में पहुँच जायेंगे जहाँ भौतिकवादी लोग अपने बच्चों के प्रति उदासीन होकर, गैरजिम्मेदार जीवन जीते हैं। यही कारण है कि मार्ग में वैवाहिक प्रणाली से, किसी प्रकार का कर नहीं जोड़ा जाना चाहिए, नहीं तो परिणाम अनर्थकारी होंगे। हमें तत्काल इस नए प्रचलन को बंद कराकर, मार्ग को सही रस्ते पर लाने में देरी नहीं करना चाहिए।
पीपी मात्र कठपुतली
पीपी मात्र कठपुतली और प्रतीकात्मक हैं , पीपी आशर्वाद नहीं दे सकते, अच्छा यही है कि शतप्रतिशत बाबा पर ही निर्भर रहें।
निश्चय ही नव विवाहितों को आशर्वाद मिलना चाहिए, पर उन्हें पीपी दादा के पास क्यों nahiin जाना चाहिए, क्योकि पहले तो उन्हें इस कार्य के लिए पीपी को अर्थात् उन ग्रुप लीडरों को ,कुछ भी देने के लिए किसी भी प्रकार का दवाव नहीं डाला जाना चाहिए, और दुसरे यह कि पीपी तो वर्त्तमान में केवल प्रतीकात्मक हैं धार्मिक गुरु नहीं, इसलिए उनके आशीर्वाद का कोई मूल्य नहीं है। अच्छा तो यह है कि स्थानीय वरिष्ठ मार्गी जिसने महान कार्य के लिए त्याग किया हो, उसके पास जा कर आशीर्वाद लेना, अपेक्षाकृत श्रेष्ठ है। उनके पास जाकर आशर्वाद लेने की आवश्यकता नहीं है जो पद प्रतिष्ठा और पोस्ट के लिए परस्पर लड़ रहे हैं, और मार्ग को बिभाजित कर कमजोर बना रहे हैं।
दूसरा सर्वोत्तम रास्ता यह है कि परम गुरु बाबा पर ही निर्भर रहा जाये।
बाबा का वैवाहिक आशीर्वाद
डीएमसी और अन्य चुने हुए अवसरों पर बाबा विवाहितों को आशीर्वाद दिया करते थे। नव विवाहित युगल हाथ में माला ले कर stage पर बैठे हुए बाबा के सामने आते, और उन्हें प्रणाम करते, फिर बाबा अपने हाथ से माला को स्पर्श कर आशीर्वाद देते हुए यह कहा करते थे—“शिव और पार्वती कि तरह बनो”. इसके बाद दोनों मालायें वधु को दे दिया करते, और युगल, प्रणाम कर स्टेज से बाहर आ जाया करते।
बहुत से अन्य आशीर्वचन जो समय समय पर बाबा कहा करते थे उन्हें नीचे दिया जा रहा है।
नोट:- नीचे बाबा द्वारा दिए गए अनेक प्रकारों में से कुछ के प्रतिलेखन दिए जा रहे हैं। यहाँ यह समझ लेना उचित होगा कि बाबा भारतीय वधुओं कि अपेक्षा पश्चिमी वधुओं को भिन्न प्रकार आशीर्वाद दिया करते थे। पश्चिमी वधुओं को “माइ लिटिल गर्ल” और भारतीय वधुओं को “माँ ” सम्बोधित किया करते। अतः इन सम्बोधनों को हिंदी में अनुवाद किया जाना आवश्यक नहीं है।
(A) “इस जगत् में हर पार्वती के समान रहोगे | सामाजिक, मानसिक, आध्यात्मिक, हर क्षेत्र में, तान्त्रिक आदर्श के अनुसार रहोगे | तुम्हारे आचरण से लोग हर पार्वती को याद करें | रखो लो, माँ, यह अपने पास रख लो |”
(B) “इस संसार में हर-पार्वती के समान रहो | अपना कर्त्तव्य करते रहो | तुमसे मानव समाज की सेवा हो, कल्याण हो, तुम्हारा भी कल्याण हो | लो, माँ | इसे अपने पास रख लो |”
(C) “इस दुनिया में हर पार्वती के समान रहो | कर्त्तव्य करते रहो, तुमसे विश्व की सेवा हो, कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो | रखो लो, माँ, यह अपने पास रख लो |”
(D) “हर पार्वती के समान रहो | कर्त्तव्य करो, दुनिया की सेवा हो तुमसे, कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो |” [माला मार्गी बहन को देते हुए |] रख लो माँ |”
(E) “जाओ माँ ! हर पार्वती के समान रहो | तुम्हारी सेवा से, तुम्हारे कर्म से समूचा विश्व का कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो | शुभमस्तु | [माला] लो माँ ! अपने पास रखना |”
आजकल बाबा आशीर्वाद कैसे
आजकल जब कोई विवाह आशीर्वाद लेने जाएँ तो बाबा के प्रति समर्पित वरिष्ठ मार्गी कहेगा :-
“इस जगत् में हर पार्वती के समान रहोगे | सामाजिक, मानसिक, आध्यात्मिक, हर क्षेत्र में, तान्त्रिक आदर्श के अनुसार रहोगे | तुम्हारे आचरण से लोग हर पार्वती को याद करें | रखो लो, माँ, यह अपने पास रख लो |”
और दूसरा कोई उपाय नहीं है क्योंकि साधक तो मात्र बाबा के हाथ का खिलौना है। वास्तव में केवल गुरु ही आशीष दे सक्ता है। दुर्भाग्य से आजकल पीपी दादा, अपनी और से तथाकथत आशीर्वाद देते हैं, जैसे वे इस कार्य के लिए योग्य हों। यह दो प्रकार से गलत है। पहला यह कि यह व्यापारिक दृष्टि से किया जा रहा है, और दूसरा यह कि कोई आदमी किसी को आशीर्वाद नहीं दे सकता है।
इसलिए तथाकथित आशीर्वाद प्रतीकात्मक पीपी दादा से क्यों लिया जाये, जो कि अपने लोभ के लिये फीस के रूपये ले रहे हैं, इस प्रकार का आशीर्वाद निष्फल जाता है।
नमस्कार ,
बाबा के चरणों में
मधुसूदन
~ All readers are requested to scroll down and see the photo of the global in-charge and send him a copy of this email. ~
Note 1: HERE IS THE ORIGINAL ENGLISH VERSION OF THIS LETTER
PP’s MARRIAGE BLESSING TAX GOES TO GROUP LEADERS
OTHER DADAS PROFIT FROM OTHER CEREMONIES ETC
Now a fee of upwards of RS10,000 is being charged by a group’s PP Dada to get his “marriage blessing.” In this process, that PP Dada is just a puppet in the hands of those running that particular group. All monies and fees will go directly to those group leaders.
This has set the stage for other levels of Dadas to impose their fee and get a payment in the marriage process. Some will charge for introducing the couple and others will charge for performing the ceremony. It is not difficult to see where this is going. Certainly not every Dada will engage in this, but when even a few do it is enough to spoil the entire system.
Our marriage system is designed to be free of any and all costs, yet now with the imposition of a payment to get PP’s so-called blessing, things are heading in the wrong direction. Because we are also witnessing how some Wts are charging margii families for performing shraddha ceremonies, while other Wts will not attend a retreat or akhanda kiirtan unless they are assured a solid payment from the organisers. Theses are are “spillover” of the PP Dada marriage tax. Other Dadas are sizing up how they too can profit from various Ananda Marga social functions – verily this is already going on.
Charging fees for attending programs and performing ceremonies has been such a big money-maker for some Dadas that they have become tied to this easy way of life. Until and unless, there is a strong and united resistance by family margiis, those select Dadas will continue to exploit in this way. They will levy their fees and taxes whenever and wherever possible. For them it is easy money.
UNFORTUNATE RIPPLE-EFFECT OF BOGUS MARRIAGE TAX
Now our Ananda Marga is marching down the road paved by dogmatic Hindu priests. For the various groups, their chosen PP became a stooge in the hands of the group leaders. This started the marriage blessing tax and it will not be long before some more Dadas open up their own marriage stalls at DMS and charge for marital advice, recommendations, engagements, ceremonies and services. They will charge a fee every step of the way – including initiation into Ananda Marga.
Such Dadas may even demand a new dress (from head to toe including eye glasses) in exchange for performing the marriage. And if they did 5 marriages in one weekend or one month, then they will sell the extra clothes for a profit.
The same Hindu dogma which has littered Kashi, Varanasi, Puri, Rameshvaram, Dwarka, Ayodhya, Gaya, Deoghar and Prayag will infest our Ananda Marga marriage system. That is the very real threat. In that case marriage will become one exorbitant affair that weighs heavy on the public pocket so people will avoid marriages altogether and pursue sensual relations outside of marriage, leave children unattended to, and tragically, we will be back to that pre Lord Shiva era or become a mirror image of today’s materialistic culture where having children out of wedlock is common. It will be just like what is happening now in materialistic regions.
That is why no money should be associated with our Ananda Marga marriage system. Otherwise the results will be nothing short of disastrous. We should stop the current indiscretions immediately and set our Marga back on the right path – without delay.
PP IS JUST PUPPET AND FIGUREHEAD – HE CANNOT BLESS
BEST IS TO DEPEND 100% ON BABA
Most definitely, a marriage blessing should be available to newly married people. But why should they go to PP Dada for such a “blessing”. Firstly they should not be forced to pay Purodha Pramukha, i.e. those group leaders, and secondly at present PP Dada is just a figurehead – not a dharmika. So why get the blessing of PP. That has no value.
The better way is to get the blessing done by any sincere, local senior margii who has sacrificed for the great cause. There is no need to get the blessing from various opportunists who are fighting for the post and dividing the organisation.
Or one can simply depend on Baba – that might be the best approach of all. Though it certainly is acceptable to seek out the blessing of one true dharmika in Ananda Marga.
But to run after the blessing of PP Dada is just meaningless. Especially when PP is just a puppet of the ruling regime. We must not allow PP’s so-called blessing to become one ritual in Ananda Marga.
Better to just seek out any genuine margii in your local unit.
HOW BABA GRACIOUSLY PERFORMED MARRIAGE BLESSING
During DMC and select other occasions, Baba would graciously arrange for marriage blessings. The newly married couple would come in front of Baba with with malas and do pranam to Baba as He was seated on the dais. Then Baba would hold take their hands in His hands and touch their malas as well. And He would bless them by saying, “Be like Shiva and Parvatii…” – many sample blessings are enlised below. Then Baba would give both malas to the bride, and the couple would do pranam to Sadguru Baba and exit the stage.
Note: Here below are transcriptions of some of the many ways that Baba would express His blessing. it should be udnerstood that Baba would address brides from the west different from Indian brides. OFten He would address overseas sisters as “My little girl”, whereas He might address Indian sisters as “Mother.” Thus no need to translate “My little girl” into Hindi, or vice versa.
(A) Be like Shiva and Pa’rvatii. Do all your worldly, mental, and spiritual duties with proper zeal. Like Shiva and Pa’rvatii. Kalya’n’amastu
My little girl, keep these garlands with you as your personal property.
(B) Be like Shiva and Parvatii. Let your life be an ideal life, an ideal physical, mental, and spiritual life. Kalya’n’amastu.
(C) Be like Shiva and Parvatii, and do all your duties— physical, mental, and spiritual, with a ta’ntrika zeal.
(D) Strictly adhere to the cult of Shiva and Parvatii. Be great by your sa’dhana’, service, and sacrifice.
(E) इस जगत् में हर पार्वती के समान रहोगे | सामाजिक, मानसिक, आध्यात्मिक, हर क्षेत्र में, तान्त्रिक आदर्श के अनुसार रहोगे | तुम्हारे आचरण से लोग हर पार्वती को याद करें | रखो लो, माँ, यह अपने पास रख लो |
(F) इस संसार में हर-पार्वती के समान रहो | अपना कर्त्तव्य करते रहो | तुमसे मानव समाज की सेवा हो, कल्याण हो, तुम्हारा भी कल्याण हो | लो, माँ | इसे अपने पास रख लो |
(G) इस दुनिया में हर पार्वती के समान रहो | कर्त्तव्य करते रहो, तुमसे विश्व की सेवा हो, कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो | रखो लो, माँ, यह अपने पास रख लो |
(H) हर पार्वती के समान रहो | कर्त्तव्य करो, दुनिया की सेवा हो तुमसे, कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो |
[माला मार्गी बहन को देते हुए |] रख लो माँ |
(I) जाओ माँ ! हर पार्वती के समान रहो | तुम्हारी सेवा से, तुम्हारे कर्म से समूचा विश्व का कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो | शुभमस्तु | [माला] लो माँ ! अपने पास रखना |
HOW BLESSING SHOULD BE DONE NOWADAYS
Nowadays, when going for Guru’s marriage blessing, a senior trusted margii – devoted to Baba – will state:
“By Baba’s grace, be like Shiva and Parvatii. Let your life be an ideal life, an ideal physical, mental, and spiritual life. By Baba’s grace, may there be eternal peace.”
There is no other way, because that sadhaka is merely an instrument in Baba’s hand. Only Guru can actually bless.
Unfortunately, these days PP Dada is giving his so-called blessing on his own behalf: “Let there be…” as if he himself is capable of authoring such a blessing. This is wrong in two ways. It is just done for business purposes and the acquirement of money, and secondly no human being can bless anyone.
So, why seek out the so-called blessing of a figurehead leader like PP Dada who is charging money to satisfy his own greed. That so-called blessing is impotent.
Margiis must unite and boycott such type of dogma which is discussed in this posting.
Namaskar,
At His feet,
Madhusudan
Note 1: PHOTO OF IN-CHARGE NOWADAYS
SEND THIS LETTER TO DADAJI
Ac Nirmoha'nanda Avt is the global in-charge money goes to his department. Please read more about this below his photo:
To abolish this problem - marriage tax in Ananda Marga, all are encouraged to send this posting - and your comments - to Ac Nirmoha'nanda Avt to both of the following addresses:
nirmohananda@gmail.com
nirmohananda_42@yahoo.com
Note 2: LINKS TO EARLIER LETTERS ON THIS TOPIC OF
MARRIAGE TAX BY GROUP LEADERS
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com/2013/12/greedy-priests-of-marga-imposing.html
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com/2014/03/greedy-priests-marriage-tax.html (Hindi)
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com/2013/12/greedy-priests-of-marga-imposing_25.html
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com/2014/03/greedy-priests-marriage-tax_18.html (Hindi)
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com/2014/01/greedy-priests-marriage-tax-part-3-two.html
लालची पुरोधा विवाह टैक्स – Greedy Purodha & Marriage Tax
~ भाग 3 ~
पीपी का विवाह टेक्स ग्रुप लीडर्स के पास पहुँचता है। अब एक ग्रुप के पीपी दादा के द्वारा विवाह आशीर्वाद की फीस दस हजार रुपयों से भी अधिक ली जा रही है। इस प्रक्रिया में पीपी दादा उस ग्रुप के लीडरों के हाथ की कठपुतली हैं। सभी रुपया और फीस उन ग्रुप लीडरों के पास सीधे ही पहुँचती है। इससे अन्य दादाओं के लिए भी विवाह की फीस लेने के लिए रास्ता खुल गया है। कुछ दादा लोग नव विवाहतों को परिचय करने और कुछ विवाह क्रिया संपन्न करने की फीस लेने लगेंगे। यह पता लगाना कठिन नहीं है कि यह कहाँ हो रहा है। यह सही है कि सभी दादा लोग इस कार्य में नहीं लगे हैं पर यदि थोड़े लोग ही इस काम में लगे हैं तो यह पूरे सिस्टम को बिगाड़ने के लिए पर्याप्त है। हमारी विवाह पद्धति सभी के लिए मुफ्त में कार्य करने के लिए ही बनाई गई है पर अब पीपी के द्वारा फीस लिया जाना—इसे अलग दिशा में ले जायेगा। हमने यह भी देखा है कि किस प्रकार कुछ होलटाइमर, मार्गियों से श्राद्ध के नाम पर पैसा ले रहे हैं। और अन्य अखंड कीर्तन आदि में नहीं जाते हैं, जब तक उन्हें आयोजनकर्ताओं की अोर से ठोस रकम नहीं मिल जाती। पीपी दादा के विवाह टेक्स के यह परिणाम हैं।
कार्यक्रमों के संपन्न करने और उनमे भाग लेने के लिए फीस लेने का धंधा, कुछ दादाओं को पैसा बनाने का सरल उपाय मिल गया है, जिसे अपनाकर वे जीवन जीने के आदी हो गए हैं। जब तक पारिवारिक मार्गियों द्वारा सामूहिक प्रयास कर इन दादाओंं के इस कार्य का विरोध नहीं किया जाता, उनका यह शोषण कार्य जारी रहेगा।वे जब भी सम्भव होगा इस प्रकार धन बटोरते रहेंगे।
विवाह टेक्स का दुर्भाग्यपूर्ण प्रभाव
अब हमारा आनन्दमार्ग हिंदुओं के डागमेटिक पुजारियों की तरह उनके बनाये गए रास्ते पर चलने लगा है। विभिन्न ग्रुपों के चुने हुए पीपी, ग्रुप लीडरों के हाथ के खिलोने हैं। इन्होंने विवाह टेक्स लेने कि परंपरा बना दी है, और वह दिन दूर नहीं जब अन्य दादा लोग डीएमएस के समय अपने अपने स्टाल लगाएंगे, और विवाह, भौतिक सलाहो, अनुशंषाओं कार्यक्रमों में भाग लेने की भी फीस लेने लगेंगे। और फिर धीरे धीरे दीक्षा देने की भी फीस लेने लगेंगे। ये दादा परिवार के मुखिया से नयी ड्रेस और चश्मा भी विवाह-फीस के रूप में लेने लगेंगे। और यदि वे सप्ताह या माह में ५ शादियां करते हैं तो अतिरिक्त ड्रेसें बेच कर लाभ कमाएंगे।
फिर आनंदमार्ग भी हिंदुओं के काशी , पुरी,रामेश्वरम,द्वारका,अयोध्या, गया, देवघर, प्रयाग आदि की तरह व्यर्थ के रीति रिवाजों और डोग्मा में बंध जाएगा। यह सचमुच बड़ा भयावह है। इस प्रकार शादियां अत्य़धिक खर्चीली होकर, लोगों को बिना विवाह के रहने को विवश कर देंगी और हम उस युग में पहुँच जायेंगे जहाँ भौतिकवादी लोग अपने बच्चों के प्रति उदासीन होकर, गैरजिम्मेदार जीवन जीते हैं। यही कारण है कि मार्ग में वैवाहिक प्रणाली से, किसी प्रकार का कर नहीं जोड़ा जाना चाहिए, नहीं तो परिणाम अनर्थकारी होंगे। हमें तत्काल इस नए प्रचलन को बंद कराकर, मार्ग को सही रस्ते पर लाने में देरी नहीं करना चाहिए।
पीपी मात्र कठपुतली
पीपी मात्र कठपुतली और प्रतीकात्मक हैं , पीपी आशर्वाद नहीं दे सकते, अच्छा यही है कि शतप्रतिशत बाबा पर ही निर्भर रहें।
निश्चय ही नव विवाहितों को आशर्वाद मिलना चाहिए, पर उन्हें पीपी दादा के पास क्यों nahiin जाना चाहिए, क्योकि पहले तो उन्हें इस कार्य के लिए पीपी को अर्थात् उन ग्रुप लीडरों को ,कुछ भी देने के लिए किसी भी प्रकार का दवाव नहीं डाला जाना चाहिए, और दुसरे यह कि पीपी तो वर्त्तमान में केवल प्रतीकात्मक हैं धार्मिक गुरु नहीं, इसलिए उनके आशीर्वाद का कोई मूल्य नहीं है। अच्छा तो यह है कि स्थानीय वरिष्ठ मार्गी जिसने महान कार्य के लिए त्याग किया हो, उसके पास जा कर आशीर्वाद लेना, अपेक्षाकृत श्रेष्ठ है। उनके पास जाकर आशर्वाद लेने की आवश्यकता नहीं है जो पद प्रतिष्ठा और पोस्ट के लिए परस्पर लड़ रहे हैं, और मार्ग को बिभाजित कर कमजोर बना रहे हैं।
दूसरा सर्वोत्तम रास्ता यह है कि परम गुरु बाबा पर ही निर्भर रहा जाये।
बाबा का वैवाहिक आशीर्वाद
डीएमसी और अन्य चुने हुए अवसरों पर बाबा विवाहितों को आशीर्वाद दिया करते थे। नव विवाहित युगल हाथ में माला ले कर stage पर बैठे हुए बाबा के सामने आते, और उन्हें प्रणाम करते, फिर बाबा अपने हाथ से माला को स्पर्श कर आशीर्वाद देते हुए यह कहा करते थे—“शिव और पार्वती कि तरह बनो”. इसके बाद दोनों मालायें वधु को दे दिया करते, और युगल, प्रणाम कर स्टेज से बाहर आ जाया करते।
बहुत से अन्य आशीर्वचन जो समय समय पर बाबा कहा करते थे उन्हें नीचे दिया जा रहा है।
नोट:- नीचे बाबा द्वारा दिए गए अनेक प्रकारों में से कुछ के प्रतिलेखन दिए जा रहे हैं। यहाँ यह समझ लेना उचित होगा कि बाबा भारतीय वधुओं कि अपेक्षा पश्चिमी वधुओं को भिन्न प्रकार आशीर्वाद दिया करते थे। पश्चिमी वधुओं को “माइ लिटिल गर्ल” और भारतीय वधुओं को “माँ ” सम्बोधित किया करते। अतः इन सम्बोधनों को हिंदी में अनुवाद किया जाना आवश्यक नहीं है।
(A) “इस जगत् में हर पार्वती के समान रहोगे | सामाजिक, मानसिक, आध्यात्मिक, हर क्षेत्र में, तान्त्रिक आदर्श के अनुसार रहोगे | तुम्हारे आचरण से लोग हर पार्वती को याद करें | रखो लो, माँ, यह अपने पास रख लो |”
(B) “इस संसार में हर-पार्वती के समान रहो | अपना कर्त्तव्य करते रहो | तुमसे मानव समाज की सेवा हो, कल्याण हो, तुम्हारा भी कल्याण हो | लो, माँ | इसे अपने पास रख लो |”
(C) “इस दुनिया में हर पार्वती के समान रहो | कर्त्तव्य करते रहो, तुमसे विश्व की सेवा हो, कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो | रखो लो, माँ, यह अपने पास रख लो |”
(D) “हर पार्वती के समान रहो | कर्त्तव्य करो, दुनिया की सेवा हो तुमसे, कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो |” [माला मार्गी बहन को देते हुए |] रख लो माँ |”
(E) “जाओ माँ ! हर पार्वती के समान रहो | तुम्हारी सेवा से, तुम्हारे कर्म से समूचा विश्व का कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो | शुभमस्तु | [माला] लो माँ ! अपने पास रखना |”
आजकल बाबा आशीर्वाद कैसे
आजकल जब कोई विवाह आशीर्वाद लेने जाएँ तो बाबा के प्रति समर्पित वरिष्ठ मार्गी कहेगा :-
“इस जगत् में हर पार्वती के समान रहोगे | सामाजिक, मानसिक, आध्यात्मिक, हर क्षेत्र में, तान्त्रिक आदर्श के अनुसार रहोगे | तुम्हारे आचरण से लोग हर पार्वती को याद करें | रखो लो, माँ, यह अपने पास रख लो |”
और दूसरा कोई उपाय नहीं है क्योंकि साधक तो मात्र बाबा के हाथ का खिलौना है। वास्तव में केवल गुरु ही आशीष दे सक्ता है। दुर्भाग्य से आजकल पीपी दादा, अपनी और से तथाकथत आशीर्वाद देते हैं, जैसे वे इस कार्य के लिए योग्य हों। यह दो प्रकार से गलत है। पहला यह कि यह व्यापारिक दृष्टि से किया जा रहा है, और दूसरा यह कि कोई आदमी किसी को आशीर्वाद नहीं दे सकता है।
इसलिए तथाकथित आशीर्वाद प्रतीकात्मक पीपी दादा से क्यों लिया जाये, जो कि अपने लोभ के लिये फीस के रूपये ले रहे हैं, इस प्रकार का आशीर्वाद निष्फल जाता है।
नमस्कार ,
बाबा के चरणों में
मधुसूदन
~ All readers are requested to scroll down and see the photo of the global in-charge and send him a copy of this email. ~
Note 1: HERE IS THE ORIGINAL ENGLISH VERSION OF THIS LETTER
PP’s MARRIAGE BLESSING TAX GOES TO GROUP LEADERS
OTHER DADAS PROFIT FROM OTHER CEREMONIES ETC
Now a fee of upwards of RS10,000 is being charged by a group’s PP Dada to get his “marriage blessing.” In this process, that PP Dada is just a puppet in the hands of those running that particular group. All monies and fees will go directly to those group leaders.
This has set the stage for other levels of Dadas to impose their fee and get a payment in the marriage process. Some will charge for introducing the couple and others will charge for performing the ceremony. It is not difficult to see where this is going. Certainly not every Dada will engage in this, but when even a few do it is enough to spoil the entire system.
Our marriage system is designed to be free of any and all costs, yet now with the imposition of a payment to get PP’s so-called blessing, things are heading in the wrong direction. Because we are also witnessing how some Wts are charging margii families for performing shraddha ceremonies, while other Wts will not attend a retreat or akhanda kiirtan unless they are assured a solid payment from the organisers. Theses are are “spillover” of the PP Dada marriage tax. Other Dadas are sizing up how they too can profit from various Ananda Marga social functions – verily this is already going on.
Charging fees for attending programs and performing ceremonies has been such a big money-maker for some Dadas that they have become tied to this easy way of life. Until and unless, there is a strong and united resistance by family margiis, those select Dadas will continue to exploit in this way. They will levy their fees and taxes whenever and wherever possible. For them it is easy money.
UNFORTUNATE RIPPLE-EFFECT OF BOGUS MARRIAGE TAX
Now our Ananda Marga is marching down the road paved by dogmatic Hindu priests. For the various groups, their chosen PP became a stooge in the hands of the group leaders. This started the marriage blessing tax and it will not be long before some more Dadas open up their own marriage stalls at DMS and charge for marital advice, recommendations, engagements, ceremonies and services. They will charge a fee every step of the way – including initiation into Ananda Marga.
Such Dadas may even demand a new dress (from head to toe including eye glasses) in exchange for performing the marriage. And if they did 5 marriages in one weekend or one month, then they will sell the extra clothes for a profit.
The same Hindu dogma which has littered Kashi, Varanasi, Puri, Rameshvaram, Dwarka, Ayodhya, Gaya, Deoghar and Prayag will infest our Ananda Marga marriage system. That is the very real threat. In that case marriage will become one exorbitant affair that weighs heavy on the public pocket so people will avoid marriages altogether and pursue sensual relations outside of marriage, leave children unattended to, and tragically, we will be back to that pre Lord Shiva era or become a mirror image of today’s materialistic culture where having children out of wedlock is common. It will be just like what is happening now in materialistic regions.
That is why no money should be associated with our Ananda Marga marriage system. Otherwise the results will be nothing short of disastrous. We should stop the current indiscretions immediately and set our Marga back on the right path – without delay.
PP IS JUST PUPPET AND FIGUREHEAD – HE CANNOT BLESS
BEST IS TO DEPEND 100% ON BABA
Most definitely, a marriage blessing should be available to newly married people. But why should they go to PP Dada for such a “blessing”. Firstly they should not be forced to pay Purodha Pramukha, i.e. those group leaders, and secondly at present PP Dada is just a figurehead – not a dharmika. So why get the blessing of PP. That has no value.
The better way is to get the blessing done by any sincere, local senior margii who has sacrificed for the great cause. There is no need to get the blessing from various opportunists who are fighting for the post and dividing the organisation.
Or one can simply depend on Baba – that might be the best approach of all. Though it certainly is acceptable to seek out the blessing of one true dharmika in Ananda Marga.
But to run after the blessing of PP Dada is just meaningless. Especially when PP is just a puppet of the ruling regime. We must not allow PP’s so-called blessing to become one ritual in Ananda Marga.
Better to just seek out any genuine margii in your local unit.
HOW BABA GRACIOUSLY PERFORMED MARRIAGE BLESSING
During DMC and select other occasions, Baba would graciously arrange for marriage blessings. The newly married couple would come in front of Baba with with malas and do pranam to Baba as He was seated on the dais. Then Baba would hold take their hands in His hands and touch their malas as well. And He would bless them by saying, “Be like Shiva and Parvatii…” – many sample blessings are enlised below. Then Baba would give both malas to the bride, and the couple would do pranam to Sadguru Baba and exit the stage.
Note: Here below are transcriptions of some of the many ways that Baba would express His blessing. it should be udnerstood that Baba would address brides from the west different from Indian brides. OFten He would address overseas sisters as “My little girl”, whereas He might address Indian sisters as “Mother.” Thus no need to translate “My little girl” into Hindi, or vice versa.
(A) Be like Shiva and Pa’rvatii. Do all your worldly, mental, and spiritual duties with proper zeal. Like Shiva and Pa’rvatii. Kalya’n’amastu
My little girl, keep these garlands with you as your personal property.
(B) Be like Shiva and Parvatii. Let your life be an ideal life, an ideal physical, mental, and spiritual life. Kalya’n’amastu.
(C) Be like Shiva and Parvatii, and do all your duties— physical, mental, and spiritual, with a ta’ntrika zeal.
(D) Strictly adhere to the cult of Shiva and Parvatii. Be great by your sa’dhana’, service, and sacrifice.
(E) इस जगत् में हर पार्वती के समान रहोगे | सामाजिक, मानसिक, आध्यात्मिक, हर क्षेत्र में, तान्त्रिक आदर्श के अनुसार रहोगे | तुम्हारे आचरण से लोग हर पार्वती को याद करें | रखो लो, माँ, यह अपने पास रख लो |
(F) इस संसार में हर-पार्वती के समान रहो | अपना कर्त्तव्य करते रहो | तुमसे मानव समाज की सेवा हो, कल्याण हो, तुम्हारा भी कल्याण हो | लो, माँ | इसे अपने पास रख लो |
(G) इस दुनिया में हर पार्वती के समान रहो | कर्त्तव्य करते रहो, तुमसे विश्व की सेवा हो, कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो | रखो लो, माँ, यह अपने पास रख लो |
(H) हर पार्वती के समान रहो | कर्त्तव्य करो, दुनिया की सेवा हो तुमसे, कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो |
[माला मार्गी बहन को देते हुए |] रख लो माँ |
(I) जाओ माँ ! हर पार्वती के समान रहो | तुम्हारी सेवा से, तुम्हारे कर्म से समूचा विश्व का कल्याण हो, और तुम दोनों का भी कल्याण हो | शुभमस्तु | [माला] लो माँ ! अपने पास रखना |
HOW BLESSING SHOULD BE DONE NOWADAYS
Nowadays, when going for Guru’s marriage blessing, a senior trusted margii – devoted to Baba – will state:
“By Baba’s grace, be like Shiva and Parvatii. Let your life be an ideal life, an ideal physical, mental, and spiritual life. By Baba’s grace, may there be eternal peace.”
There is no other way, because that sadhaka is merely an instrument in Baba’s hand. Only Guru can actually bless.
Unfortunately, these days PP Dada is giving his so-called blessing on his own behalf: “Let there be…” as if he himself is capable of authoring such a blessing. This is wrong in two ways. It is just done for business purposes and the acquirement of money, and secondly no human being can bless anyone.
So, why seek out the so-called blessing of a figurehead leader like PP Dada who is charging money to satisfy his own greed. That so-called blessing is impotent.
Margiis must unite and boycott such type of dogma which is discussed in this posting.
Namaskar,
At His feet,
Madhusudan
Note 1: PHOTO OF IN-CHARGE NOWADAYS
SEND THIS LETTER TO DADAJI
Ac Nirmoha'nanda Avt is the global in-charge money goes to his department. Please read more about this below his photo:
To abolish this problem - marriage tax in Ananda Marga, all are encouraged to send this posting - and your comments - to Ac Nirmoha'nanda Avt to both of the following addresses:
nirmohananda@gmail.com
nirmohananda_42@yahoo.com
Note 2: LINKS TO EARLIER LETTERS ON THIS TOPIC OF
MARRIAGE TAX BY GROUP LEADERS
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com/2013/12/greedy-priests-of-marga-imposing.html
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com/2014/03/greedy-priests-marriage-tax.html (Hindi)
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com/2013/12/greedy-priests-of-marga-imposing_25.html
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com/2014/03/greedy-priests-marriage-tax_18.html (Hindi)
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com/2014/01/greedy-priests-marriage-tax-part-3-two.html