Baba
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दादा रुद्रानंद जी के चरित्रहीन क्लब के सदस्यों, गृही मार्गियों को गाली देना बंद करो।
दादा
नभातीतानंद जी अपने कुकर्मों को छुपाने के लिए पूरा दोष गृही मार्गियों पर
स्कैंडल और कुछ सीनियर वर्कर्स पर डिफाल्टर का आरोप लगा कर बदनाम कर रहे
हैं।
सबसे
पहले "दादा रुद्रानंद चरित्रहीन क्लब" के सदस्यों ने अवधूत और पुरोधा बनने
के बाद जितने स्कैंडल किए हैं। उनको तो याद कर लेने का कष्ट कीजिए। जिनमे
कुछ स्कैंडल "आनंद मार्ग प्रचारक संघ बनाम षड्यंत्र कारी तत्व" और "नायक
या खलनायक" नामक पुस्तकों में प्रूफ सहित प्रिंट हो चुके हैं। आज तक उन
आरोपों का खण्डन नहीं हुआ। क्योंकि सब स्कैंडल के दस्तावेज के द्वारा प्रूफ
उन पुस्तकों में है। आपके आका दादा रुद्रानंद जी ने जो मुरादाबाद जमीन में
जो स्कैंडल किया है, उसका भी प्रूफ के तौर पर उस पुस्तक में सरकारी स्टैंप
पेपर की कॉपी को प्रिंट किया गया है, उस स्टैंप पेपर के पहले पेज पर ही
दादा रुद्रानंद का नाम लिखा हुआ है। दिल्ली की मार्गी सिस्टर ने अपनी एक
पर्सनल कार भी "दादा रुद्रा नंद जी के चरित्र हीन क्लब" दादा मधुव्रतानंद
जी को संस्था के कार्य को करने के लिए दी थी, जी उन्होंने अपनी गर्ल फ्रेंड
को अपने मोहब्बत को दिखाने के लिए गिफ्ट में दे दी थी। क्या यह स्कैंडल
नही है। आपके आका दादा रुद्रानंद जी को बाबा ने 1978 में सीबीआई इनफॉर्मर
के रूप में इमरजेंसी के द्वारा संस्था के वर्कर को पुलिस के द्वारा
पकड़वाने के आरोप में 9 प्रकार की सजा के तौर पर सन्यासी ट्रेनिंग में
दुबारा ट्रेनिंग के लिए भेजा था। और साथ ही दूसरी सजाओं में, बाबा क्वार्टर
में प्रवेश से निषेध, सेमिनार में ट्रेनर बनने से निषेध, वीएसएस कैंप में
जाने से निषेध, जिस मीटिंग में बाबा उपस्थित हों उस मीटिंग में प्रवेश करने
से निषेध, डीएमसी में प्रवेश करने से निषेध, बाबा से डायरेक्ट बात करने
में निषेध इत्यादि सजाएं दी थी। क्या यह गुरु द्रोह, एवम् संस्था द्रोह
नहीं है।
रांची
ग्रुप के ऐसे वर्कर के नाम दे सकता हूं। जो "दादा रुद्रानंद के चरित्रहीन
क्लब" के सदस्य नहीं है। उनको इसी क्लब के सदस्यों ने मेरे द्वारा किए जाने
वाले आमरण अनशन को सपोर्ट करने वाले सीनियर दादा निर्मोहानंद जी को इतनी
मानसिक प्रताड़ना दी गई, जो पहले से ही बीमार रहते थे, वे सदमे से उबर नहीं
सके, और उनका ब्लड प्रेशर, और डायबिटीज इतनी ज्यादा बढ़ गई, कि उनका निधन
जल्दी हो गया। दादा रुद्रानंद जी ने अपने दीक्षा भाई एवम् बाबा भक्त मार्गी
अरुण अग्रवाल जी को भी बताई थी। और इस बात को व्हाट्सएप में उन्होंने
स्वीकार भी किया था।
अपने
सीनियर दादा वंदनानंद जी को डिफाल्टर भी कहा है। आपके आका दादा रुद्रानंद
जी ने संस्था के साथ कितनी गदरियां की हैं उस पर भी विचार कर लिया जाय।
क्या दादा T को आप ने नही पकड़वाया। क्या दादा J के नाम पर नकली ई- मेल
बनाकर दादा मधुव्रतानंद जी ने अपनी तरफ से दादा J के नाम पर गलत मेसेज लोगो
में नही भेजा था, कि इमरजेंसी में उनको पकड़वाने में आपके रुद्रानंद जी का
हाथ नही था। जब मैं SG VSS था, क्या दादा मधुव्रतानंद जी, मुझे दादा चित
कृष्णानंद जी के बारे में गलत मिसगाइड कर ED Department द्वारा ANDS पर
छापा नहीं पढ़वाया था? क्या दादा मधुव्रतानंद जी ने संस्था के पैसे से
अपने लौकिक परिवार के सदस्यों को मदद नहीं की थी?
मैं
यह नहीं कहता कि संस्था के लोगो में विभाजन के कारण सिर्फ रुद्रानंद जी
हैं। अन्य विभाजित ग्रुपों में भी दादा रुद्रानंद जी के उस्ताद भी बैठे हुए
हैं।
सर्वप्रथम
कलकत्ता ग्रुप के कुछ तथाकथित महारथियों ने सिस्टम के नाम पर पोस्ट और
पावर की लड़ाई शुरूकर संस्था के लोगों में विभाजन का कार्य शुरू किया। उसी
को फॉलो करते हुए दादा रुद्रानंद जी ने भी रांची में अपना दादा रुद्रानंद
जी ने अपना "दादा रुद्रानंद चरित्र क्लब" की स्थापना, हमारे सर्वप्रिय
दादा निगमानंद जी के पश्चात की। क्योंकि स्वर्गीय दादा निगमानंद के जीवित
रहते और उनके विरोध के चलते अपने चरित्रहीन क्लब की स्थापना नही कर सके।
दादा
निगमानंद जी भी बहुत दिनो तक दादा रुद्रानंद जी के छिपे हुए एजेंडे को समझ
नही सके। लेकिन उनको जब समझ आई। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इसका भी प्रूफ
दादा निगमानद जी छोड़ गए हैं। मुंबई के बाबा भक्त परिवार के ही सदस्य बाबा
भक्त P मार्गी को अपने निधन होने से पहले यह कहा थी। उन्होंने जिंदगी की
सबसे बड़ी भूल यह थी, कि "उन्होंने दादा रुद्रानंद जी पर विश्वास किया"
दादा
निगमानंद जी , दादा परमेश्वरानंद जी एवम् अन्य महारथियों के द्वारा उस
वक्त के तत्तकालीन श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख द्वारा अपना प्रेशर दे कर पुरोधा
डिक्लेयर करवा कर सेंट्रल कमेटी का सदस्य बनाने में सहयोग दिया। भले ही आज
वे पश्चाताप कर रहे होंगे। इसका प्रूफ संस्था के सदस्य आचार्य महेश्वरानंद
जी का एक लेटर जो गूगल में "डीप फिश इन आनंद मार्ग मिशन" के हेडिंग नाम से
छपा हुआ है। इस लेटर को भी "आनंद मार्ग प्रचारक बनाम पुस्तक में प्रिंट
किया हुआ है।
सबसे
बड़ा स्कैंडल तो दादा नभातीतानंद जी ने पोलैंड में किया, कि अवधूत होते
हुए आपने एक पोलैंड की लड़की से लगभग एक साल तक पति - पत्नी तक रहे, और बाद
में उसे भी धोखा दे कर वापिस संस्था ज्वाइन की। उसके बाद भी दिल्ली के ex
भुक्तिप्रधान के घर में ऐसा कांड किया , उस भुक्तिप्रधान जी का घर आज तक
नही बस पाया। आपकी पूरी हिस्ट्री लिखने में भी शर्म आती है।
आपके
आका दादा रुद्रानंद जी ने अपने क्लब के चरित्रहीन सदस्यों की मदद से "आनंद
मार्ग प्रचारक संघ" को जो "आनंद मार्ग रुद्रानंद पर्सनल संघ" बना रखा है।
इस पर्सनल संघ को चैलेंज देता हूं। कि यदि आप लोगो में हिम्मत है, और आप
यदि कायर नहीं हैं तो:-
एक
गृही मार्गियों एवम् संन्यासियों की ग्लोबल मीटिंग या सिर्फ सिर्फ भारत के
लोगों की मीटिंग बुलवा लीजिए। और आप पूरा "दादा रुद्रानंद चरित्रहीन क्लब"
एक तरफ और मैं अकेला रहूंगा। और आप मेरी एक बात को भी काट देंगे। तो आपके
जूते और मेरा सिर।
और नहीं तो :-
जिस
तरह से कलकत्ता ग्रुप, यूनिटी ग्रुप, दीदी ग्रुप, और ओवरसीज लोग बिना किसी
मार्गियों की क्रिटिसाइज किए, अपना बाबा का कार्य कर रहे हैं। उस तरीके से
"आनंद मार्ग रुद्रानंद पर्सनल संघ" का भी कार्य करते रहिए।
बाकी रहा रांची ग्रुप के "पुरोधा प्रमुख" को बदनाम करने की।
जब
रांची ग्रुप के पुरोधा प्रमुख दादा निगमानंद जी के जीवित रहते हुए, उनके
अनुसार चलते थे। तब दादा रुद्रानंद जी के प्रमुख चरित्रहीन क्लब के इंचार्ज
जो स्वयं भी हिस्ट्री शीटर हैं। वे रांची ग्रुप के पुरोधा प्रमुख को
"निक्कमा, हिजड़ा, नपुशक की उपाधि देने में नही हिचकते थे। तब आप क्या
कहेंगे।
अच्छा
यही है। आप लोग WT workers को जो भी भला बुरा कहना है, कह लीजिए, हमको
किसी प्रकार की आपत्ति नहीं है। लेकिन गृही मार्गियों को गालियां या अनुचित
शब्द कह कर सार्वजनिक बदनाम करने की कोशिश न करें, उसी में आपकी और आपके
आका की भलाई है।
अभी तो सिर्फ यह मार्गी समाज व्हाट्सएप के द्वारा उत्तर दे रहा हूं। वरना फेस बुक में देना हमको भी आता है।
धन्यवाद
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