Namaskar,
This
letter - Marriage Tax #1 - is for Hindi readers only. But those who did
not receive the English version of "Marriage Tax #1", please scroll
down to the English version.
आनन्द मार्ग के लोभी पुरोहित विवाह पर टैक्स लगा रहे हैं।
नोट : इस विवेचनीय विन्दु के वहुआयामी पत्र का यह पहला भाग है।
नमस्कार।
कुछ समय पहले अंतरजातीय और अंतरसमाजीय विवाह इतने सामान्य नहीं थे। इसलिए जब बाबा ने आनंदमार्ग की विवाह पद्धति से परिचय कराया तो वह पूर्णतः परम्परागत सोच के विरुद्ध गया।
#१ अंतर्जातीय विवाह के सम्बन्ध में
बाबा ने इस विचार को वैधानिकता प्रदान की कि संसार के सभी समाजों के लोग सक्रियता से साथ साथ रहें और परस्पर विवाह करें। आनन्द मार्ग विवाहपद्धति आंतरधर्म और अंतर्जातीय विवाहों का स्वागत करती है और उन्हें बढ़ावा देती है। यह एक क्रन्तिकारी लक्षण है।
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#२ परिवार के लोग विवाह कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं।
बाबा ने यह भी घोषित किया कि परिवार के लोग विवाह कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं और किसी पुरोहित कि आवश्यकता नहीं है। यह भी एक क्रांतिकारी कदम था।
#३ वर और वधु का सामान स्तर : कोई शोषण नहीं।
विवाह के मामले में पुरुष और महिला को सामान दर्जा दिया गया है। इसका मतलब यह है कि किसी को भी लिंग के आधार पर, विशेषतः महिला को बाधा/दंड नहीं देना होगा, वर को जीता हुआ और वधु को हारा हुआ नहीं माना जायेगा , जबकि पृथ्वी पर सभी जगह विवाह इसी प्रकार की जीत और हार को मानते हुए ही मनाये जाते हैं। बाबा ने इस प्रकार कि गतिविधियों और परंपरागत दहेज़ प्रथा को समूल नष्ट कर दिया और बताया कि सभी परमपुरुष की संतान हैं अतः बराबरी का व्योहार किया जाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि आनंदमार्ग विवाह पद्धति में किसी भी प्रकार का पेमेंट या आर्थिक फीस नहीं लगती है।
#४ विवाह समाज निर्माण के लिए होता है न कि कामुकता के शमन लिए
आनंदमार्ग वैवाहिक पद्धति भौतिकवादी प्रेम दृश्य नहीं है ,वह तो वच्चों को प्यार भरा सुरक्षित वातावरण देते हुए पालन करना और समाज का निर्माण करना है। हमारी आनंदमार्ग वैवाहिक पद्धति का यही एक उद्देश्य है। इस तरह वह वर्त्तमान में प्रचलित भौतिक वादी छद्मसंस्कृति वाली परंपरा से मूलतः भिन्न है, जिसमें अदालतों के मजे लेकर विवाहों को कामुकता की शरारत करने कि छूट के साथ बच्चों को केवल उपपाद माना जाकर रास्ते में भटकने के लिए छॊड़ दिया जाता है ।
विवाहों के लिए विवाह टेक्स लिया जाना बहुत बड़ी बाधा होगी और विना विवाह के ही बहुत बच्चे पैदा होंगे।
यदि आनंदमार्ग वैवाहिक पद्धति में बहुत टेक्स लेकर विवाह संपन्न किये जाने लगे तो स्वाभाविक रूप से बहुत से लोग बिना विवाह के रहेंगे और विवाहेतर सम्बन्धों के द्वारा बच्चे पैदा करेंगे जिससे अंततः बच्चे ही कष्ट भोगेंगे। इस सम्भावित भयंकर परिणाम को ही निम्नांकित विवरण में गहरई से लिखा गया है।
क्रांतिकारी वैवाहिक पद्धति का सारांश
ये सभी विन्दु आनन्द मार्ग वैवाहिक पद्धति के अनुसार नए और क्रांतिकारी हैं क्योंकि ये सब भूतकाल के तथाकथित धार्मिक डोग्मा और वर्त्तमान के भौतिकवादी मापदंडों के विल्कुल भिन्न हैं। यही कारण है कि अनेक मार्गी परिवारों को अपार विरोधों का सामना करना पड़ा अपनी ही जाती के लोगों से, क्योंकि उन्होंने दूसरी जाती से विवाह किया था। उन्हें धमकियाँ दी गयीं,सीमाएं बांध दी गयीं, संपत्ति नष्ट कर दी गयी, घर जला दिए गए फिर भी सही मार्गी लोगों ने बाबा कि क्रांतिकारी वैवाहिक पद्धति को लागू करना जारी रखा।
क्रांतिकारी वैवाहिक पद्धति को प्रदूषित करना ; विवाह का आशीर्वाद लेने की फीस लेना
कुछ दादाओं ने नव विवाहित युगलों से फीस लेने का नियम बना कर एक डोग्मा लाद दिया है कि यदि वे तथाकथित आशीर्वाद, DMS में pp दादा से लेना चाहते हैं, तो उन्हें फीस देना होगी। इस प्रकार वे झूठा नियम लागू कर रहे हैं कि आशीर्वाद लेने के लिए धन देना आवश्यक है।
परन्तु बाबा ने यह कभी भी नहीं किया। नव विवाहितों के लिए DMC में बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए कभी भी कोई फीस नहीं ली गयी। चाहे गरीब हों या अमीर सब पर उनकी अहेतुकी कृपा रहती थी। कुछ दादाओं ने यह प्रथा डोग्मा वाले धर्मों से खींच कर अपना ली है जिसमे पुरोहितों द्वारा जन्म, विवाह और मृत्यु या किसी भी धार्मिक उत्सवों के समय लम्बी चौड़ी फीस ली जाती है।
वे मार्गियों को शोषित कर रहे हैं। वास्तव में वे यह अपराध कर रहे हैं। इस विन्दु पर हमें आलस्य करते हुये चुप नहीं बैठना चाहिए। कुछ धार्मिक मार्गियों ने सार्वजनिक रूप से यह मुद्दा उठाया है इस लिए हमारी यह बंधनकारी ड्यूटी बनती है कि हम आनंदमार्ग की क्रांतिकारी वैवाहिक पद्धति को इन अवसरवादियों के हाथों से बचाएं और चारों ओर रैली निकाल कर इस बात से सभी को अवगत कराएं। इस डोग्मा को मार्ग में आये अनेक वर्ष हो गए हैं। उसे तत्काल जड़ से उखाड़ फेकना चाहिए नहीं तो उसकी जड़ें और गहरी हो जाएंगीं और फिर उखाड़ पाना बहुत कठिन हो जायेगा।
खतरा : यह डोग्मा अपनी जड़े फैलाएगा और स्वयं फैलेगा।
अपने कई प्रबचनों में बाबा हमें सचेत करते हैं कि डोग्मा की प्रकृति समाज में फैलने और उसे जकड़ लेने की होती है। इसीलिए हमारे आनंदमार्ग में किसी भी प्रकार के डोग्मा के लादे जाने पर उसे निर्दयता से उखाड़ देना चाहिए। कोई भी इस दिवास्वप्न में न रहे कि मार्ग डोग्मा से अप्रभावित रहता है। जैसा हमने कहा कि कुछ होलटाइमर “विवाह आशीर्वाद” नामक डोग्मा फैला रहे हैं, इसलिए सावधान रहें।
इसके लिए इस प्रकार के वरिष्ठ दादा लोग अपने अपने ढंग से औचित्य प्रतिपादित कर लेते हैं। वे कह सकते हैं कि मार्ग पर अनेक कोर्ट केस चल रहे हैं इसलिए पैसा कहाँ से लाया जाये? इसलिए विवाह आशीष की फीस लेना उचित है आदि। पर सब जानते हैं कि जब आनंदनगर का निर्माण हो रहा था या जेल में रहने के समय पैसों की बहुत जरूरत होने पर भी उन्होंने विवाह आशीष की फीस नहीं ली। यह धार्मिक टेक्स नहीं लादा गया क्यों? इसलिए कि हमारी वैवाहिक पद्धति क्रांतिकारी है। परन्तु यदि हम चुपचाप बैठे रहे तो कुछ सालों में यह लादा गया डोग्मा हमारे नाती पोतों तक पहुंचेगा और इसे जारी रखने के लिए उन्हें अत्यधिक कीमत चुकानी पड़ेगी क्योंकि इस प्रकार जो इस टेक्स को देने में समर्थ होंगे वे शोषित किये जायेंगे और जो समर्थ नहीं होंगे वे टेक्स न दे पाने के कारण अपने को अपमानित और छोटा अनुभव करेंगे। इस प्रकार यह पृथा जन्म जन्मांतर तक चलती जायेगी। कहने का मतलब यह कि इस गलत कार्य को प्रारम्भ में ही नहीं रोका गया तो यह बढ़ता ही जायेगा और फिर इसे हटा पाना असम्भव हो जायेगा।
देखिये अब तक क्या हुआ है : दहेज़ प्रथा
मुख्य बात यह है कि आनंदमार्ग विवाह पद्धति गुरु के आदेश से मुफ्त में ही संपन्न की जाती है अतः किसी को भी इस के नाम पर धन बटोरने कि स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती। बिलकुल इसी प्रकार भूतकाल की दहेज़ प्रथा का जन्म हुआ और अपनी बेटी की शादी करने के लिए महगी वस्तुएं और उपहार भेंट करने के लिए लोग जीवन भर धन संग्रह करने में ही लगे रहने के लिए विवश हो गए। उसका आज यह परिणाम है कि लोग लड़कियों को जन्म लेने के पूर्व ही उन्हें मारने लगे। लड़कियों का जन्म होना अत्यधिक बंधनकारी और कष्टदायक माना जाने लगा।
(कृपया इस पत्र कि अगली किश्त भी देखिये )
नमस्कार ,
बाबा चरणों में
मधुसूदन
Translated by Dr T.R.S.
Photo Credit *: We
request the margii who created this image and posted it to their
Facebook account to come forward so we may give due credit for this
work.
== Section 2 ==
Who should get credit of service which apparently you did - Ananda Vanii #23
Ananda Vanii states, "You
have no right to hate even a single living creature. The best you can
do is only to serve. Remember, you are to serve bearing in mind that
every creature is verily the living manifestation of the Supreme
Consciousness. Remember also that the credit of service is not yours; it
is due to the Supreme and the Supreme alone, whose ideation has
inspired you to acquire the capability of rendering service." (1)Who should get credit of service which apparently you did - Ananda Vanii #23
Note:
The above is one of Baba’s original Ananda Vaniis. These original and
true Ananda Vaniis are unique, eternal guidelines that stand as complete
discourses in and of themselves. They are unlike Fake Ananda Vaniis.
References
1. Ananda Vanii #23
References
1. Ananda Vanii #23
== Section 3 ==
PP & Rudrananda imposing ceremony tax on margiis #1
Note:
This letter is only for those who believe in Ananda Marga revolutionary
marriage system and want to follow Baba’s teachings on social
ceremonies.
Namaskar,
Just
a short while ago, interracial and intercaste marriages were not at all
common. So when Baba introduced the Ananda Marga marriage system then
it went fully against all traditional, dogmatic thinking.
#1: Greatness of revolutionary marriages
Baba
legitimized the idea that all communities of the world should live
together and actively inter-marry. The Ananda Marga marriage system
fully embraces and encourages interracial and inter-caste marriages.
That is one revolutionary characteristic.
#2: Family people can convene marriage ceremonies
Secondly,
Baba declared that family people can perform and oversee marriage
ceremonies. There was no need for a priest. This was also a new and
revolutionary approach.
#3: Bride and groom on equal footing - no exploitation
Third
is the notion that males and females have equal rights and status with
regards to marriages. That means there is no penalty or barrier to
either gender, especially women. The bride should not be viewed as the
defeated party and the groom should not act as the arrogant victors. Yet
this is the way the ceremony is often carried out - in so many parts of
the globe. Baba has rooted out any semblance of this, as well as the
dogmatic dowry system, and demanded that all be treated equally as
children of the Divine. That means no payment of any kind is needed in
our Ananda Marga marriage system - none at all.
#4: Marriage is for society building, not lust
Fourth,
our Ananda Marga marriage system is not a materialistic, love scene but
rather an avenue for society building where the entire purpose of
marriage is to provide a safe, loving, and stable environment for
raising children. That is the whole aim of our Ananda Marga marriage
system. Thus it is radically different from materialistic,
pseudo-culture and new-age relationships which romanticize courtships
& marriages as sexual escapades for couples wherein children are a
mere byproduct and thereafter left by the wayside to fend for themselves
etc.
Marriage tax will be an obstacle to marriage -
more children will be born out of wedlock
But
when a huge tax is imposed on Ananda Marga marriages, then naturally
people will choose to remain unmarried and carry out their relations
that way and produce children out of wedlock, in which case those
children will suffer. This tragic outcome is explored in greater depth
further down in this letter.
Hypocritical jargon to empty margii’s pocket
Yet,
on a case by case basis some dadas are secretly collecting fees and
payments from margiis. They are exploiting margiis behind the scenes in a
private manner. This is the way things are going on. Such Dadas
communicate with venerable parties and give assurances and then every
step they charge. These wts forget that this is not the time to ask.
It
is just like when a new person is first initiated then that is not the
time to ask them for money. Nor should such Dadas ask for donations at
the time of shraddha (death ceremony), but they do this. And they also
do ask for payment at the time of marriage. And they use very tricky /
deceptive language. Here is an example of how they try to cajole
margiis.
Those
Dadas say, “Look, I am not charging you anything - everything I am
doing is 100% free - but as a margii you have to support Baba’s mission.
It is not everyday that your father dies and it is not everyday that
your daughter gets married. So when Baba has graciously bestowed you
with money then on these occasions you should give back. Otherwise when
are you going to give. And just think, I am doing this ceremony for you
completely free. I am a servant of Baba. So there is no question of me
charging you anything - not one penny. But from your side you should
come forward and give. After all, if I had not performed the ceremony or
you had this done outside of Ananda Marga then surely you would have
had to pay. So then why are you not giving to Baba and His mission on
this occasion. So think of Baba and support His social service projects.
With this thought in mind you should offer a donation.” This is the
deceptive rhetoric that some Dadas employ in order to procure donations
from margiis during such social ceremonies like the death ceremony or
marriage etc. In the face of this, margiis feel helpless and can only
say, “Please Dada take pity on me.”
If
any margii asks that Dada why you (Dada) are charging poor margiis in
this way then that Dada will reply, “What is wrong, these margiis are
already wasting their money on so many types of activities. So then what
is wrong if I take from them at the time of marriage etc. After all
their duty is to give and my duty is to accept their offering. So this
is a dharmic approach.” This is the type of wolf psychology that
dominates some Wts.
Heroes could only do revolutionary marriage
All
these points about our Ananda Marga marriage system are new and
revolutionary for society and are radically different from past
religious dogma and the existing norms of materialism.
That
is why many margii families faced huge opposition from their own
so-called caste when they engaged in inter-caste marriages. They were
attacked, their property was destroyed, and their houses were burned
etc. Yet those courageous margiis persevered and implemented Baba's
revolutionary marriage system.
Rudranandaji: Polluting our revolutionary marriage system:
imposing fee to get marriage blessing
Certain
Dadas have created and imposed the dogma wherein newly married margiis
must pay a surcharge or fee if they wish to receive a so-called blessing
from PP Dada during DMS etc. They are implementing the bogus rule that
money is needed in order to get a "blessing."
Yet
Baba never did like this. No payment was ever needed for newly married
couples to receive His divine ashirvad (blessing) during DMC. There was
never any tax or fee, just His causeless grace. Rich or poor, all had
equal opportunity.
But
now some Dadas have implemented this new rule. They just dragged it in
from the dogmatic religions of old wherein priests levy huge fees on the
common people for their so-called services whether it be marriages,
births, deaths or any other ritualistic gathering. Always the priests
wanted a big payment - this dogma has always plagued the various
religions. And now some stooges of Rudrananda Dadas are doing the same
thing. They collect huge money and give the lion’s share to Rudrananda.
Why we should not keep quiet
Some
Dadas are exploiting margiis. That is the real crime that is taking
place. We must not sit idle on this point. Already some dharmic margiis
have raised this issue on the public platform and it is our bounden duty
to rally around and save the Ananda Marga revolutionary marriage system
from the hands of these opportunists. Already years have passed since
they put this dogma in place. It must be rooted out now lest it become
more set and hence more difficult to remove.
Marriage tax dogma spreading to other ceremonies
In
so many discourses Baba warns us that it is the nature of dogma to
spread and entangle itself in society. That is why the imposition of any
dogma in our Ananda Marga way of life should be mercilessly rooted out.
No one should get caught in the daydream that our Marga is impervious
to dogma. As we speak some Wts are dragging a new "marriage blessing"
dogma into AM. This is the unfortunate situation and everyone should be
alert about this.
All
along, such top Dadas have their justification. They may think that as
there are so many court cases going on then they have to make money
however they can - including charging a fee for fake marriage blessings.
Actually, typical religious priests make this same type of
justification when inventing any new dogma.
Remember
Baba also needed money when building Ananda Nagar, as well as during
the jail period and when fighting the communists etc, but He never
charged for marriage blessings. This jizya (religious tax) was not
imposed. Why not - because ours is a revolutionary marriage system.
Grandchildren will be exploited forever
But
if we just sit still and keep quiet, then in a few years this dogma
imposed by group Dadas will be established and our grandchildren &
great-grandchildren will be singing the praises of getting PP's marriage
blessing, regardless of the exorbitant cost. Those who can afford it
will be cheated and exploited and those who are unable to pay will feel
humiliated and inferior. They will suffer from an inferiority complex
that they were not good enough or rich enough to get PP Dada's blessing.
And with each and every passing generation the problems will mount more
and more.
The
point being that if a dogma is not rooted out in the beginning then it
only grows - it will not stay small or inconsequential.
Why some unborn girls are still getting killed
The
key point here is that our Ananda Marga marriage system is free - per
Guru's directive. So anyone trying to make money in our Marga must not
use our marriage system as their chosen vehicle for turning a profit.
Indeed
that is how the dowry system started of old. In order to get your
daughter married then people had to save money their whole life and
present fancy gifts and big payments to the bridegroom's family. That is
why in India people would kill their unborn girls. Because giving birth
to a daughter was like tying a ball and chain to one's leg.
Namaskar,
At His feet,
Madhusudan
Note
1: Overall the ultimate controller is Rudrananda - he is hiding behind
and his stooges are dancing according to his direction and creating
havoc. Many margiis and wts are in a fix about what to do.
Note
2: Although certain aspects of this letter is directed toward Indian
priests etc, but in reality this situation is prevalent in all religious
communities etc.